Gota-pati work
राजस्थान अपनी कला संस्कृति के लिए जाना जाता हैं। यह अपनी हस्त कलाओं के लिए विश्व विख्यात हैं। एक ऐसी ही कला हैं गोटा -पति की कला जिसका अविष्कार राजस्थान में हुआ था। गोटा -पत्ती का काम किनारी करने में भी किया जाता हैं । राजपूती पोशाकों में गोटा-पती का काम सदाबाहर हैं। ये कभी ट्रेंड से बाहर नहीं होता हैं. राजस्थान की इस कला को बड़े-२ फैशन डिज़ाइनर ने ने अपने कलेक्शन में उपयोग किया हैं। गोटा - पत्ती का काम हाथ से होता हैं और ये बहुत बारीकी और सफाई से किया जाने वाला काम हैं।गोटे की बनी पतियों से तरह-तरह के डिज़ाइन बनाये जाते हैं। पहले के समय में गोटे में सोने चांदी और ताम्बे के तारो का उपयोग किया जाता था जिसे साँचा और खरा काम भी कहते हैं। आज भी कई जगह ये बनवाया जाता हैं।
गोटा - पती राजपूती पोशाकों ,सलवार सूट और साड़ी और दुपटो पर किया जाता हैं गोटा -पत्ती के काम बहुत ही सूंदर लगता हैं परिधान के साथ पहनने वाले की भी शोभा बड़ा देता हैं। इस्सलिये आजतक इससे इतना पसंद किया जाता रहा हैं।
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