Kathputli

Kathputli

कठपुतली काठ की बनी पुतली जिसका मतलब होता हैं लकड़ी की पुतली जिसमे जान नहीं हैं इसमें  तारो से बंधी होती हैं जिनके जरिये कलाकार इनका नृत्य दीखाते हैं और कहानिया सुनाते हैं।
कठपुतली का इतिहास हजारो वर्ष पुराना हैं और इसका उपयोग पुराने समय में लोग कहानिया सुनाने के लिए करते थे। राजस्थान में ये कला सदियो पुरानी हैं और ये  राजस्थान की  संस्कृति का अभिन्न अंग हैं।  ऐसा माना जाता हैं की ये कला लगभग 1500 साल पुरानी हैं। कठपुतली हर मेंले मुख्य आकर्षण होती थी।  राजस्थान के राजाओं ने हर  कला को बड़ा ही सहेजा हैं और उसे हमेशा बढ़ावा दिया हैं। कुठपुतली भी एक ऐसी ही कला हैं जो की राजस्थान की संस्कृति में रची-बसी हैं।  इस्सके जरिये कलाकार  गाकर कहानिया बताते हैं कठपुतली लकड़ी और कपडे से बनाया जाता हैं और इससे सूंदर कपडे पहनाये जाते हैं। इस्सके हाथो और पेरो पैर तार बंधे होते हैं जिनका उपयोग करके इन्हे नर्त्य करव या जाता और कहानी बताई जाती हैं। कही कहानियो जो की राजस्थान के वीरो की,सामाजिक कुरूतियो पर होती जिनके  जरिये कलाकार जागरूगता भी फैलाते थे और कहानियो के जरिये  अच्छा सन्देश भी समाज को देते थे।
Kathputli
Kathputli

                                                                                                                 आज के इस भाग दौड़ और उथल -पुथल में ये कला अपना अस्तित्व खोती जा रही हैं। अब कलाकार कुछ heritage होटल में या किसे किले के आस-पास ही दिखते हैं। इसमे अच्छी  आमदनी नहीं होने के कारन कलाकार इस कला को छोड़ने को मजबूर हैं।
अब बस कठपुतली सच में कठपुतली रह गयी हैं जो की राजस्थान की थीम को दर्शाने के लिए सिर्फ दीवारों पर सजती हैं। पहले की तरह कमर लचका कर नर्त्य नहीं करती हैं। 

Comments