Mandana Painting


मांडणा पेंटिंग एक सबसे पुराणी ग्रामीण कला हैं जो सदियों से चली आ रही हैं।  ये राजस्थान और मध्य प्रदेश में बनायी जाती हैं. ये कला दीवारों और आँगन में बनायीं जाती हैं। किसी भी शुभ अवसर पर ये कला बनाई  जाती हैं।  इससे बड़ा ही शुभ माना जाता हैं. ये चित्र कला घर की महिलाओं के द्वारा बनायी जाती हैं।  इसके लिए किसी प्रकार की अभ्यास की जरूरत नहीं होती ये चित्र कला बेटिया अपनी माताओं से सीख लेती हैं।  मांडणा का मतलब होता हैं किसी चीज़ को बनाना।  राजस्थान में इससे पगला भी कहते हैं। इस कला को बनाने के आँगन को मिटटी और गोबर से लीपा  जाता हैं उसके सूखने के बाद उसमे गेरू  से बाहरी रेखा बनायीं जाती हैं फिर उसके अंदर चुने की सफेदी से रेखा बनाकर उसे भरा जाता हैं.इससे कपडा लेकर उसे घोल में डुबोकर कर ऊँगली के सहारे से बनाया जाता हैं। सूखने के बाद ये बहुत सूंदर दीखता हैं. इसमें कई प्रकार के डिज़ाइन होते जो हर अवसर के अनुरूप होते हैं। दिवाली पर अलग भगवान के पगलो वाले मांडणे होते हैं।  और इससमे बहुत बड़े से लेकर छोटे -२ मांडणे भी बनते हैं। अब समय के साथ  ये कला फीकी पड़ती जा रही हैं।  इस कला को लोग भूलते जा रहे हैं  नयी पीढ़ी में इस्सके सीखने की लालसा नहीं दिखाई देती। कलाकरो इससे कार्डबोर्ड पर बनाना शुरू किया हैं जो की इससे सहेज कर रखने में एक कदम हैं. आशा करते हैं ये सूंदर कला लुप्त न हो और सहेजी जाये।
बचपन से ये कला मैने नजदीक से देखी हैं और मुझे इससे सीखने का मौका भी मिला हैं मैं इसमें पारंगत तो नहीं हूँ  पर मुझे इस कला का थोड़ा बहुत ज्ञान इसमें बनने वाले कुछ मांडणे आते हैं।

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