phad painting पड़ चित्रण
रेजी अथवा खादी के कपडे पर लोक देवताओ की जीवनगाथाएँ ,धार्मिक व पौराणिक कथाएँ व ऐतिहासिक गाथाओ के चित्रित स्वरूप को ही 'पड़ 'कहा जाता हैं। शाहपुरा ( भीलवाड़ा ) पड़ चित्रण का मुख़्य केंद्र हैं.पड़ें चित्रित करने का कार्य यहाँ के जोशी गोत्र की छिपे करते हैं। जिन्हें चितेरा कहा जाता हैं. श्रीलाल जोशी इसके ख्याति प्राप्त चितेरे हैं। अभी तक सबसे छोटी २ ×२ सेमी देवनारायण की पड़ डाक टिकट के रूप में देवनारायण जयन्ती पर २ सितम्बर ,1992 को भारतीय डाक विभाग ने जारी की हैं। श्रीमती पार्वती जोशी देश की प्रथम पड़ चितेरी महिला हैं।
पड़ वाचन भोपो के द्वारा किया जाता हैं
पाबूजी की पड़ :इसके वाचक नायक या आयडी भोपे होते हैं और इसमें रावणहत्ते का इस्तेमाल होता हैं। यह सबसे लोकप्रिय पड़ हैं। भोपे या भोपिन द्वारा रात वचन किया जाता हैं। इस पड़ में मुख के सामने 'भाले का चित्र होता हैं तथा पाबूजी की घोड़ी केसर कलमी को काले रंग से चित्रत किया जाता हैं।
पड़ वाचन भोपो के द्वारा किया जाता हैं
पाबूजी की पड़ :इसके वाचक नायक या आयडी भोपे होते हैं और इसमें रावणहत्ते का इस्तेमाल होता हैं। यह सबसे लोकप्रिय पड़ हैं। भोपे या भोपिन द्वारा रात वचन किया जाता हैं। इस पड़ में मुख के सामने 'भाले का चित्र होता हैं तथा पाबूजी की घोड़ी केसर कलमी को काले रंग से चित्रत किया जाता हैं।
देव नारायण जी की पड़ : इस पड़ को गूजर जतंर नाम के वाद्य के साथ वाचन करथे हैं। देवनारयणजी की पड़ चित्रांकन में 'सर्प 'का चित्र होता हैं। तथा इनकी घोड़ी 'लीलाघर 'को हरे रंग से चित्रत किया जाता हैं। यह सबसे पुरानी ,सबसे अधिक चित्रांकन व सबसे लम्बी गाथा वाली पड़ हैं। इसका वाचन दो या तीन भोपो द्वारा रात में किया जाता हैं।
रामदेवजी की पड़ :इसके वचन करने वाले कामड जाती के भोपे होते हैं। इसमें भी रावणहथे इस्तेमाल होता हैं। रामदेवजी की जीवनगाथा का चित्रण करने वाली रामदेवजी की पड़ का चित्रांकन सर्वप्रथम चोथमल चितेरे ने किया था.
रामदला-कृष्णदला की पड़ ;इसका वाचन भाट जाती के भोपे करते हैं। इन पड़ो में किसी एक व्यक्तित्व की सम्पूर्ण गाथा का चित्रण न होकर समस्त चराचर जगत के लेखे जोखे के चित्रण के साथ -२ राम अथवा कृष्णा के जीवन की प्रमुख घटनाओ का चित्रण किया जाता हैं। इसका वाचन दिन जाता हैं सर्वप्रथम धूल चितरे ने किया था
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